आचार्या रेखा कल्पदेव:- प्रयागराज में मोक्ष की प्राप्ति - अर्द्धकुम्भ 2019
कुdम्भ मेले के मह्त्व के विषय में कहा जाता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति को जप, दान, पुण्य, ध्यान, ग्यान, देवार्चन, सत्संगादि करने से धन-धान्य, पुत्र कीर्ति, आयु आरोग्यता तथा ग्यान, सदगति और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सैकड़ों वर्षों से 12 वर्ष के अंतराल पर महाकुम्भ और 6 वर्ष के बाद अर्द्धकुम्भ का मेला लगता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार बॄहस्पति ग्रह का मेष राशि में गोचर करने पर महाकुम्भ और धनु राशि में गुरु का गोचर अर्द्धकुम्भ कहलाता है। 2019 का कुम्भ प्रयागराज कुम्भ के नाम से जाना जाएगा। 14 जनवरी 2019 से लेकर 4 मार्च 2019 के मध्य की अवधि में यह आध्यात्मिक आयोजन संपन्न होगा।
धर्मशास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओं के द्वारा अमृत कलश ले जाते समय कुछ बूंदें इधर-उधर गिरी थी, जो बूंदे नदियों में गिरी वे नदियां विशेष रुप से पवित्र मानी गई हैं। तभी से यह मान्यता है कि कुम्भ महाआयोजन के अवसर पर जो व्यक्ति इन पवित्र नदियों में स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। यह महायोजन कुल 50 दिनों तक चलता है। इन 50 दिनों में से कुछ इन विशेष स्नान किया जाता है जिसमें स्नान का शुभारम्भ प्रख्यात अखाड़े करते हैं। जिसे शाही स्नान के नाम से जाना जाता है। कुम्भ मेले की अवधि में पवित्र नदियों में स्नान करने पर अमृत वॄष्टि होती है।
यह माना जाता है कि कुम्भ मेले में स्थान करने पर अमरत्व की प्राप्ति होती है और स्नान करने वाले व्यक्ति के सभी पापों का क्षय होता है उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। जिससे व्यक्ति मोक्ष का भागी होता है। सरल शब्दों में कहें तो आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक स्नान एक हजार, माघ स्नान एक सौ तथा नर्मदा स्नान एक करोड़, वैशाख स्नान एक कुम्भ मेले का फल देता है। और कुम्भ स्नान के विषय में
कहा गया है कि- एक हजार अश्वमेघ यग्य, सौ बाजपेय यगय एवं एक लाख भूमि की परिक्रमा करने पर जो पुण्य मिलता है वह पुण्य कुम्भ मेले में स्नान करने से प्राप्त होता है।
कुम्भ और अर्द्धकुम्भ जिस वर्ष में आता है उस वर्ष में पौष पूर्णिमा स्नान, मकर सक्रांति स्नान, मौनी अमावस्या स्नान, बसंत पंचमी स्नान, माघी पूर्णिमा स्नान एवं महाशिवरात्रि स्नान। इन अवसरों पर भी नदियों में स्नान करना विशेष माना गया है।
कुम्भ मेले के अवसर पर अनेक पंथ, सम्प्रदाय और धार्मिक संस्थाएं शिविर आश्रम बनाकर भारतीय धर्म-संस्कॄति को बढ़ावा देती है। कुम्भ मेले की भव्यता में वृद्धि करने में संपूर्ण भारत से आए नागा बाबाओं की 13 अखाड़ों की भूमिका अहम होती है। ये अखाड़ें सर्वप्रथम स्थान करते हैं जिसे शाही स्नान कहा जाता है। इसके पश्चात आम जनों को स्नान करने का अवसर प्राप्त होता है।
वैसे तो कुम्भ मेले का आयोजन भारत में चार स्थानों पर किया जाता हैं। इसमें प्रयागराज सर्वोपरि है। कुम्भ मेले के आयोजन की परम्परा हर्षवर्धन काल से चली आ रही है। इसके प्रवर्तक आदि शंकराचार्य जी माने गए है। कुम्भ मेले के अन्य आकर्षण सत्संग, शास्त्रार्थ, कल्पवास, अन्नक्षेत्र, धर्म, साहित्य और संस्कृति से संबंधित अनेक कार्यक्रम है। कुम्भ मेले में प्रतिदिन लाखों-करोड़ों भक्त स्नान करते हैं, जिसमें देश के प्रत्येक कोने से लोग आते हैं। साथ ही विदेश स्थानों से भी भक्त आते हैं।
पुराणों और प्राचीन ग्रंथों में चार स्थानों पर कुम्भ मेले के आयोजन का उल्लेख हैं, जो इस प्रकार हैं-
1 नासिक में गोदावरी तट 2 उज्जैन में शिप्रा तट
3 हरिद्वार में गंगा नदी तट 4 प्रयागराज में संगम तट
इसके अतिरिक्त दो अन्य स्थानों पर भी कुम्भ का आयोजन किया जाता है जिसमें वृंदावन में यमुना नदी और दूसरा दक्षिण भारत में कुंभकोणम है।
महाकुम्भ और अर्द्धकुम्भ मेले का आयोजन निर्धारण की गणना करने में तीन ग्रहों को विशेष रुप से शामिल किया जाता है। ये तीन ग्रह चंद्र, सूर्य और बॄहस्पति है। उपरोक्त स्थानों पर
कुम्भ मेले का आयोजन कब, कहां होगा, इसकी गणना निम्न ज्योतिषीय नियमों के आधार पर की जाती हैं-
प्रयागराज कुम्भ मेला आयोजन नियम
जब गुरु ग्रह मेष राशि में हों और सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि में विचरण कर रहे हों उस समय मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है।
हरिद्वार कुम्भ मेला आयोजन नियम
गुरु कुम्भ राशि में हों और सूर्य मेष राशि में गोचर कर रहे हों, उस समय कुम्भ मेला हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर संपन्न होता है।
उज्जैन कुम्भ मेला आयोजन नियम
बृहस्पति ग्रह सिंह राशि में गोचरस्थ हों और सूर्य मेष राशि में हों अथवा सूर्य, चंद्र और गुरु सभी एक साथ तुला राशि में गोचर कर रहें हों तो कुम्भ मेला उज्जैन नगरी में होता है।
नासिक कुम्भ मेला आयोजन नियम
सूर्य और बृहस्पति दोनों के सिंह राशि में गोचर करने की अवधि में कुम्भ मेले का आयोजन स्थल नासिक नगरी होती है।
वर्ष 2019 में प्रयागराज में अर्द्धकुम्भ मेले का आयोजन होने वाला है। इसकी तिथियां निम्न रहेंगी-
14 जनवरी 2019 को प्रथम शाही स्नान मकर संक्रांति
21 जनवरी 2019 पौष पूर्णिमा
4 फरवरी 2019 मौनी अमावस्या द्वितीय शाही स्नान (मुख्य शाही स्नान के नाम से भी जाना जाता है।,)
10 फरवरी 2019 बसंत पंचमी (तृतीय शाही स्नान)
19 फरवरी 2019 माघ पूर्णिमा
4 मार्च 2019 महाशिवरात्रि
Genral Amazaing Remidies In Hindi
To Make Marriage Early
In case of a girl’s marriage getting delayed, make her wear new clothes during marriage talks. If you are short of good proposals to marry off the girl, give her to wear yellow clothes on Thursday and white clothes on Friday. If these clothes are new, that’s better. Do it for 4 weeks and you will surely get good proposals. Therefore, no cloth should be repeated. If marriage negotiation is breaking down repeatedly after reaching final stages, make it a point to put off shoes/slippers before entering the room where talks are taking place. At the moment when bride’s side is entering prospective groom’s household, girl’s parents and other well-wishers should put left or right foot first inside the house, keeping in mind the nostril from which they are breathing. When the parents go for marriage negotiation to groom’s house, girl dhould keep her hair open, not tie them. She should also be happy and offer sweets to them when they start. Boys and girls of marriageable age should put a bit of mehandi meant for bride or groom, whenever they get a chance to attend a marriage ceremony. For early marriage, the girl should keep fast for 16 consecutive Mondays and offer sacred water in a Shiva temple. She should dress up as Goddess Parvati, tie the knot between Shiva and Parvati and pray for early marriage. Marriage proposals will start pouring in. To get her wish for a suitable groom fulfilled, girl should worship Shiva-Parvati and complete one round of following mantra- ऊँ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ही ऊँ गोरा पार्वती देव्यै नमः”। If one reads verses related to the marriage of Shiva and Parvati in the Balkand of Ramcharit Manas everyday, wishes of early marriage are fulfilled. Marriageable boys and girls should pour sacred water over shivaling and place 108 flowers over it, chanting the mantra Om Namah Shivaya and praying for early marriage, on Fridays. Also offer 21 Belpatras to Lord Shiva. Do it for 7 consecutive Fridays, marriage proposals will start coming in. On Thursdays, offer Kalangi ( Which is there at the top of the ‘Sehra’) in Vishnu Laxmi temple, along with 5 laddoos and pray for quick marriage.
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