Kanungo Jee says,"There are so many repected astrologers, palmist, numeorologist etc. doing work in this field for public welfare. Here we invite them to send their experience, tips, remedies etc. to publish here for the sake of mankind. They can send astro related materail to us to publish here any time via E-mail to us".
नौकरी करेंगे या करायेंगे - शनि बतायेंगे :(Acharya-Rekha Kalpdev)
शिक्षा पूर्ण हो जाने के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह विचार जन्म लेता है कि व्यक्ति विशेष के लिए नौकरी करना सही रहेगा या व्यवसाय करने से उसे अधिक सफलता मिलेगी। प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। कोई व्यक्ति नौकरी करेगा या किसी अन्य से कराएगा यह जानने में ज्योतिष शास्त्र विशेष भूमिका निभा सकता है-
भाव
व्यक्ति किस तरह के व्यवसाय या नौकरी में अधिक सफलता प्राप्त करेगा इसका निर्धारण करने के लिए 1, 2, 7, 9, 10, 11 भाव में विराजमान ग्रह या इन भावों पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों से किया जाता है। जिसकी कुंडली में प्रथम, द्वितीय, सप्तम, नवम, दशम एवं एकादश भाव के स्वामी एवं बुध प्रबल रहतें हैं, ऐसे लोग समान्यतः स्वयं के व्यवसाय में सफल होते है। अन्यथा नौकरी करने से आमदनी होती है। दशम से दशम भाव यानी की कुंडली का सातवां भाव भी व्यवसाय के मामले में मुख्य भूमिका निभाता है, साथ ही ये भाव साझेदारी में व्यवसाय को भी दर्शाता है। साझेदारी में किए हुए कार्य में हमें लाभ मिलेगा या धोखा मिलेगा, उसका ज्ञान हमें यही भाव करवाता है, इसलिए कोई भी कार्य करते समय इस भाव का अध्ययन आवश्यक होता है। इसके बाद आता है, ग्यारहवां भाव जो कि लाभ आय का होता है। किस वस्तु से हमें कितना लाभ हो सकता है, उसे यही भाव दर्शाता है। हमारी इच्छाओं की पूर्ति का भी यही भाव है। इसलिए इस भाव में यदि कोई ग्रह बली होकर स्थित है, तो उस ग्रह से सम्बन्धित व्यवसाय करके हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
2, 6, 10 अर्थ भाव होने से व्यक्ति की धन संबंधी आवश्यकता को पूरा करते हैं। दूसरा भाव हमारे कुटुंब व संचित धन को दर्शाता है। छठा भाव हमारी नौकरी व ऋण को दर्शाता है। दसवां भाव हमारे व्यवसाय को दर्शाता है। किसी व्यक्ति का दूसरा भाव बलवान हो तो उसकी धन संबंधी आवश्यकताएं कुटुंब से मिली हुई संपत्ति व धन से पूरी होती रहती है। किसी व्यक्ति का छठा भाव बलवान हो तो व्यक्ति नौकरी द्वारा सारा जीवन गुजार देता है। दशम भाव बलवान होने से व्यक्ति अपने स्वयं के कर्म से धन कमाता है।
नौकरी और शनि ग्रह
जीविका का चुनाव जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। अपनी योग्यता के अनुसार एक विशेष व्यवसाय का चुनाव जो हम अपने भविष्य के लिये करते हैं, उसका आज के प्रतियोगी जीवन में बहुत महत्व है। आप जिस वृत्ति का चुनाव करते हैं वही आपके भविष्य की आधरशिला है। पहले, लोग अपनी शिक्षा पूरी करते थे, फिर अपनी जीविका का निर्णय करते थे। लेकिन आज की पीढ़ी अपनी विद्यालयी शिक्षा पूरी करने से पहले ही अपने भविष्य निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा लेती है। जीविका का चुनाव किसी व्यक्ति की जीवन शैली को अन्य किसी घटना की तुलना में सबसे अधिक प्रभावित करता है। कार्य हमारे जीवन के कई रूपों को प्रभावित करते हैं।
हमारे जीवन में मूल्यों, दृष्टिकोण एवं हमारी प्रवृत्तियों को जीवन की ओर प्रभावित करता है। इस भीषण प्रतियोगिता की दुनिया में प्रारम्भ में ही जीविका सम्बन्धी सही चुनाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसीलिए एक ऐसी प्रक्रिया की आवश्यकता है, जो किसी व्यक्ति को विभिन्न जीवन वृत्तियों से अवगत कराए। इस प्रक्रिया में व्यक्ति को अपनी उन योग्यताओं एवं क्षमताओं का पता लग जाता है, जो जीवन सम्बन्धी निर्णय का एक महत्वपूर्ण अंग है।
चुनौती प्रतियोगिता आज के समाज के मुख्य अंग है, इसलिए जीविका की योजना बनाना ही केवल यह बताता है कि हमें जीवन में क्या करना है और हम क्या करना चाहते है? ना कि बार-बार और जल्दी-जल्दी अपने व्यवसाय अथवा कार्य को उद्देश्यहीन तरीके से बदलना। ज्योतिष शास्त्र में शनि को नौकरी का कारक ग्रह माना गया है। इसलिए नौकरी का विचार करने के लिए शनि की स्थिति का विचार किया जाता है।
नौकरी में शनि ग्रह की भूमिका
नौकरी करवाना और नौकरी करना दो अलग-अलग बातें है। जन्मकुंडली में शनि की स्थिति बताती है कि व्यक्ति स्वयं नौकरी करेगा या नौकरी कराएगा। जैसे- जन्मकुंडली में शनि नीचस्थ है तो जातक नौकरी करने में विश्वास करता है। इसके विपरीत यदि शनि उच्चस्थ है तो जातक का मन व्यवसाय में लगता है अर्थात वह दूसरों से काम कराने में माहिर होता है। यहां यह बता देना सही होगा कि शनि मेष राशि में नीचस्थ और तुला राशि में उच्चस्थ होता है।
मेष राशि से जैसे-जैसे शनि तुला राशि की तरफ़ बढता जाता है उच्चता की ओर अग्रसर होता जाता है और तुला राशि से शनि जैसे-जैसे आगे जाता है नीच राशि की तरफ़ बढता जाता है। जन्मपत्री में शनि जिस स्थान पर स्थित होता है वहां से वह तीसरे भाव, सातवें भाव और दसवें भाव पर अपना दृष्टि प्रभाव देता है।
यदि मेष लग्न की कुंडली में शनि वृष राशि में स्थित है तो वॄष राशि भौतिक सामान की राशि है। वॄष राशि दूसरे भाव की राशि और शुक्र ग्रह के स्वामित्व की राशि होने के कारण यह जातक की पारिवारिक स्थिति को दर्शाती है। यहां शनि नीच राशि से निकलने के बाद आता है। लेकिन यहां से वह उच्च राशि की ओर अग्रसर रहता है। इसका प्रभाव यह होता है कि व्यक्ति भौतिक वस्तुओं से जुड़ा काम कर धन प्राप्त (दूसरा भाव धन भाव होने के कारण) करने के लिए आतुर रहता है।
किसी व्यक्ति विशेष की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करने के लिए इस भाव का अध्ययन किया जाता है। यहां से शनि की तीसरी दॄष्टि कर्क राशि पर होगी और कर्क राशि चंद्र ग्रह की राशि है। अत: जातक आजीविका चयन के लिए सर्वप्रथम भूमि भवन, पानी से जुड़े व्यवसाय आदि से जुड़ा कार्य करने का सोचेगा। इसके पश्चात शनि की सातवीं दॄष्टि आठवें भाव पर होती है। इस भाव से संपत्ति को बेचकर प्राप्त होने वाला कमीशन देखा जाता है। यहां से शनि की दशम दृष्टि कुम्भ राशि पर होती है। अत: जातक को व्यवसाय में बड़े भाई बहनों का सहयोग लाभकारी रहता है। यह राशि संचार के साधनों की राशि भी कही जाती है। जातक अपने कार्यों और जीविकोपार्जन के लिये संचार के अच्छे से अच्छे साधनों का प्रयोग भी करेगा। अगर इसी शनि पर मंगल अपना प्रभाव देता है तो जातक के अन्दर तकनीकी योग्यता आती है।
कर्क राशि और मंगल का प्रभाव जातक को भवन बनाने और भवनों के निर्माण के लिये प्रयोग होने वाले सामान बेचने का काम करने की ओर प्रोत्साहित करेगा। या फिर जातक चन्द्रमा से खेती और मंगल से दवाइयों वाली फ़सलें पैदा करने का काम करेगा। जातक चाहे तो वह खेती से सम्बन्धित उपकरणों का काम भी कर सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौकरी का मालिक शनि है और शनि का संबंध किसी भी प्रकार छ्ठे भाव या भावेश से बने तो यह नौकरी के लिए शुभ फलदायी ही रहता है अथवा छ्ठे भाव का स्वामी धन भाव या लाभ भाव से संबंध न रखता हो तो यह नौकरी के लिए शुभ फलदायी समय नहीं होता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि छ्ठे भाव का स्वामी किसी क्रूर या अशुभ ग्रह से युति या दृष्टि लिए हुए हो तो नौकरी के प्रस्ताव तो अधिक आते है मगर जातक का चयन नहीं हो पाता है।
नौकरी के आवश्यक ज्योतिषीय तत्व
शनि देव कर्म के स्वामी हैं। जिनकी कुण्डली में शनि देव की शुभ स्थिति होती है उनका करियर ग्राफ निरन्तर आगे बढ़ता रहता है। ग्रह की स्थिति जिनकी कुण्डली में अशुभ होती है उन्हें कारोबार एवं रोजी रोजगार में अनेकों तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। कुण्डली में इनकी उपस्थित एवं शुभ अशुभ के आधार पर व्यक्ति के करियर एवं रोजी रोजगार के विषय में संकेत प्राप्त किया जा सकता है। गोचर में विभिन्न ग्रहों से शनि का संबंध बनने पर व्यक्ति के करियर में निम्न बदलाव होने के योग बनते हैं-
गोचर में विभिन्न ग्रहों से शनि संबंध फल
अब हम इन योगों को कुछ कुंडलियों पर लगा के देखते हैं -
आनंद महेंद्रा कारोबारी
1 मई 1955, 12:00, मुंबई
भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा और लक्ष्मी मित्तल विश्व के 50 सबसे महान उद्धोगपतियों में शामिल हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने वाहन, कंप्यूटर सेवाओं, एयरोनॉटिक्स आदि क्षेत्रों में बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण कर कारोबार का आक्रामक ढंग से विस्तार किया है। कर्क लग्न और सिंह राशि की कुंड्ली में शनि उच्चस्थ अवस्था में चतुर्थ भाव में हैं। यहां से शनि दशम भाव को प्रत्यक्ष बल दे रहे हैं। कुंडली की सबसे बड़ी विशेषता है कि सूर्य दशम भाव में उच्चस्थ, नवम भाव में शुक्र उच्चस्थ हैं। चतुर्थ भाव, दशम भाव और नवम भाव में उच्च के ग्रहों की स्थिति इस कुंडली को नौकरी करने की जगह नौकरी कराने वाला बना रही हैं।
अनिल अग्रवाल कारोबारी
बिजनेस टायकून की लिस्ट में शामिल वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अनिल बिहार से हैं। कबाड़ के धंधे से छोटा व्यापार शुरू करके माइंस और मेटल के सबसे बड़े कारोबारी बनने तक के सफर में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। आज ये 14000 करोड़ से ज्यादा के मालिक हैं। मेष लग्न और कन्या राशि की कुंडली में अनिल अग्रवाल जी का जन्म हुआ। सप्तम भव में उच्चस्थ शनि को लग्नेश मंगल का साथ मिल रहा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि शनि कर्मेश और आयेश हैं। दशम भाव चार ग्रहों की युति कर्म भाव को बल दे रही हैं। दशमेश और सप्तमेश में राशिपरिवर्तन योग व्यवसायी बनने के योगों को शक्ति दे रहे है तथा दशम भाव में सूर्य प्रशासनिक योग्यता दे रहा है।
अरविंद मफ्तलाल कारोबारी
27 अक्तूबर 1923, 17:00, मुंबई
उद्योगपति अरविंद भाई मफतलाल का जन्म 27 अक्टूबर 1923 में हुआ था। वर्ष 1955 से इन्होंने मफतलाल एंड कंपनी का कारोबार संभाला। अरविंद मफतलाल समूह की प्रमुख कंपनी मफतलाल इंडस्ट्रीज (एमआईएल) को रेडीमेड स्कूल और कॉर्पोरेट यूनिफॉर्म का प्रमुख विक्रेता रहा हैं। इनका नाम देश के प्रमुख उद्योगपतियों की श्रेणी में लिया जाता है। अरविंद मफ्तलाल जी की कुंड्ली में शनि अष्ट्म भाव में उच्चस्थ हैं। शनि के साथ षष्ठेश सूर्य और अष्ट्मेश शुक्र भी इसी भाव में हैं। यहां शनि आयेश और द्वादशेश हैं। इस कुंडली की खास बात यह है कि कुंडली में तीनों त्रिक भावों के स्वामी एक साथ अष्टम भाव में बली अवस्था में हैं। कुंडली में चंद्र तीसरे भव में अपनी मूलत्रिकोण राशि में हैं। सप्तम भाव में बुध स्वराशिस्थ हैं और दशमेश होकर नवम भाव में स्थित हैं। यह सभी योग और शनि की मजबूत स्थिति ने इन्हें एक सफल व्यवसायी बनाया।
बी रामालिंगा राजू कारोबारी
16 सितम्बर 1954, 11:19, भीमावराम, आंद्रप्रदेश
साल 1987 में बी रामालिंगा ने अपने साले डीवीएस राजू के साथ मिलकर देश की सबसे बडी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विस लिमिटेड की स्थापना की थी। यह कंपनी अपने क्षेत्र की चार सबसे बडी कंपनियों में गिनी जाती थी। एक समय में इस कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की आबादी 60 हजार तक थी। आज इस कंपनी की हालात बहुत अच्छी नहीं हैं परन्तु रामालिंगा राजू का नाम सफल कारोबारियों में गिना जाता है।
वृश्चिक लग्न और मेष राशि की कुंडली में शनि उच्चस्थ होकर द्वादश भाव में स्वराशि के शुक्र के साथ स्थित हैं। भाग्य भाव में उच्चस्थ गुरु, दशम भाव में स्वराशि के सूर्य एवं एकादश भाव में बुध अपनी मूलत्रिकोण राशि में स्थित हैं। यह ग्रह स्थिति इनकी कुंडली को आय और करियर के पक्ष से शक्तिशाली कुंडली बना रही हैं। १९९२ से २००९ तक ये कारोबार के उच्चस्थ शिखर पर रहें।
चंदा कोचर कारोबारी
17 नवम्बर 1961, 12:00, जोधपुर, राजस्थान
चंदा कोचर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई के प्रबंध संचालक के पद पर कार्य कर चुकी चंदा कोचर भी सफल कारोबारियों में से आती हैं। इनकी कुंड्ली में शनि लग्न भाव में स्वराशिस्थ हैं। साथ में गुरु केतु के साथ हैं। दशम भाव में शुक्र मूलत्रिकोण राशि में नवमेश बुध के साथ हैं और खास बात यह है कि आय भाव में आयेश मंगल अष्टमेश सूर्य के साथ हैं। लग्न भाव, दशम भाव और आय भाव को अपने भावेशों का बल प्राप्त होने के कारण कुंडली खास और सफल कारोबारी की बन रही हैं। कुंडली के योगों का फल चंदा कोचर को कई बार मिला हैं।
धीरुभाई अंबानी की कुंड्ली में शनि द्वितीय भाव में स्वराशिस्थ हैं, गौतम अड़ानी जी की कुंडली में शनि केतु के साथ छ्ठे भाव में हैं। गौतम जी की कुंडली में भाग्येश नवम भाव में इन्हें भाग्यशाली बना रहा हैं। इसके अतिरिक्त एस एल किरलोसकर कारोबारी जी की कुंडली में शनि भाग्येश और अष्टमेश हैं और स्वराशि के अष्टम भाव में हैं। दशम भाव में गुरु स्वाराशिस्थ हैं और चतुर्थ-दशम भाव पर राहु/केतु मूलत्रिकोण राशिस्थ हैं।
सार- उपरोक्त विवेचन के अनुसार शनि स्वराशि में हों या उच्चस्थ हों, दशम भाव, दशमेश से संबंध रखें तो व्यक्ति से नौकरी नहीं कराते बल्कि नौकरी कराने की योग्यता देते हैं।
As Mr. Mukesh Bansal From Firozpur sent this to us on 4-11-2013
चेहरे पर तिल से भी भविष्यवाणी की जा सकती है
1 यह तिल भाल के ऊपरी भाग पर चौड़ाई के मध्य में होता है। इस तिल वाले जातक का मस्तिष्क छोटी आयु में ही विकसित हो जाता है।
2 यह तिल नाक के आरंभिक भाग में दोनों आंखों के कोने मिलने वाली रेखा पर होता है। यह बताता है कि शरीर में किसी रोग के कीटाणु आ चुके हैं।
3 यह तिल नाक की लंबाई के मध्य जाहिर करता है कि रोग के कीटाणु बढ़ रहे हैं। यदि समय पर रोका नहीं गया तो जातक 40-41 वर्ष की आयु में रोग ग्रस्त हो जायेगा।
4 यह तिल नाक की नोक पर स्थित होकर बताता है कि 48 वर्ष की आयु में जातक को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है।
5 यह तिल नाक के छोर से ऊपरी होठ तक जाने वाली खाई में होता है। यह दो बातों के संकेत देता है।
A जल दुर्खटना की संभावना।
B स्त्री जातक के जीवन में लगभग 50-51 वर्ष की आयु में किसी सहयोगी या बड़े अफसर द्वारा समस्या पैदा की जा सकती है।
6 यह तिल ऊपरी होंठ के दायें भाग में और निचले होंठ के बायें भाग में होता है। ऐसे जातक को स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलता है।
7 यह तिल निचले होंठ के नीचे ठुड्डी के ऊपरी भाग में दायें-बायें दोनों ओर हो सकता है। ऐसे जातक में शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता होती है।
8 यह तिल ठुड्डी के ऊपरी भाग के मध्य में होता है। इस तिल वाले जातक छोटी आयु में ही गंभीर चिंतन करने लगते हैं।
9 ये तिल ठुड्डी के मध्य भाग में दो स्थानों पर हो सकते हैं। ऐसे जातक कठोर और आक्रामक प्रकृति के होते हैं।
10 ये तिल ठुड्डी के बिल्कुल निचले भाग में दायें-बायें होते हैं। ऐसे जातक वृद्धावस्था में एकाकी होते हुए भी सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
11 यह तिल ठुड्डी की नोंक पर बीचों बीच दांये-बायें दोनों किनारों पर होते हैं। इन तिलों वाला जातक भाग्यवान होता है। थोड़े परिश्रम से सफल हो जाता हैं।
12 ये तिल मस्तक के मध्य भाग में दायें-बायें किनारों पर होते हैं। इन तिलों वाला जातक भाग्यवान होता है। थोड़े परिश्रम से ही सफल हो जाता है।
13 ये तिल दोनों भौंहों के बाहरी कानों पर कानों की ऊपरी नोक की सीध में स्थित होते हैं। इन तिलों वाले जातक उदास प्रकृति के होते हैं। अपने जीवनोद्देश्य में सफलता प्राप्त कर लेने के बावजूद भी उदास ही बने रहते हैं।
14 ये तिल दोनों भौंहों पर किसी भी भाग में हो सकते हैं। ऐसा जातक धनवान होता है।
15 ये तिल आंखों के नीचे होते हैं। स्त्री की बाईं भौंह पर तिल हो तो वह अपने पति से अधिक समय तक जीवित रहती है। वृद्धावस्था में वैध्वय का जीवन बिताती है।
16 ये कोपल की अस्थियों के निकट कर्ण की सीध में होते हैं। ये तिल दोनों ओर हों तो जातक हष्ट-पुष्ट होता है। तिल एक ही ओर हो तो निष्फल होता है।
17. ये तिल कानों के बाहरी वृत्त पर ऊपरी सिरों से कुछ नीचे होते हैं। ऐसे जातक की बुद्धि सामान्य से कुछ बुद्धि सामान्य से कुछ अधिक विकसित होती है।
18. ये तिल कानों के बाहरी वृत्त की लंबाई के मध्य में होते हैं। ऐसे जातक के कार्य क्षेत्र में बांधायें कुछ अधिक ही आती है।
19 यह तिल कान के बाहरी वृत्त पर पीछे की ओर होता है। कान के ऊपरी भाग में हो तो माता-पिता से अनबन होती है, मध्य भाग में हो तो जातक को अपने परिश्रम का समुचित फल प्राप्त होता है, नीचे के भाग में हो तो धन की हानि होती हैं।
20 यह तिल कपोल के मध्य में होता है। यदि एक ही कपोल पर तिल हो तो जातक अपनी जन्म भूमि से दूरस्थ स्थान में मरता है। यदि दोनों कपोलों पर तिल हों तो जातक वृद्धावस्था में भी सुखी रहता है।
21. यह तिल कपाल की ऊपरी गोलाई के बीचों बीच होता है। इसे सर्वोत्तम तिल माना जाता हैं। यह तिल जातक के लिए इतना शुभ होता है कि गरीब माता-पिता के यहां जन्म लेने पर भी वह अतुल धन-संपत्ति का स्वामी बन जाता है।
With Regards from Mr. Mukesh Bansal
As Mrs. Suman Bansal From Firozpur sent this to us on 4-11-2012
Lal kitab Tips on Diwali for wealth
Become wealthy by using the remedy of LAL KITAB
As it is already known that remedies of Lal Kitab are fructifying very soon. If remedy is done in a same manner as it is described in Lal Kitab, blessings from Lakshmiji and economic prosperity is assured.
Here are some remedies from Lal Kitab:
1. If you are not getting enough money according to your hard work: you should follow it. From the day of Dipawali drop a coconut (श्री फल) in flowing water daily for 44 days and write Goddess Lakshmi's Beej Mantra 'श्री' on it before dropping it.
2. If you are facing any financial obstacle due to any home defect: Flow a square piece of copper for 40 days in flowing water.
3. Even after putting hard efforts having continuous loss in business, there is no marked increase in income: On the day of Dipawali take seven betel nuts and cover it with silver foil and keep it on the place of Lakshmi poojan. Thereafter, on seven Mondays wrap them up again with silver foil. On the eighth Monday, collect all the betel nuts from the place of worship and offer them in a temple of Lord Vishnu.
4. If you are in such a business in which credit is allowed in abundance and due to this you are having loss in business: On the first Saturday of any month, burry the black surma (eye powder) at any deserted place.
5. Even after earning enough money your works are stopped due to shortage of money: On the first Saturday of Shukla Paksha start distributing Poori and Sabji (fried bread and vegetable) for 11 Saturdays.
6. If you are not earning desired money from your business or service: On Wednesday, take an empty pitcher and flow it in the water, for six Wednesdays.
7. If your work-business is still not established or you are not earning regularly: At the time of sleeping, put an iron pot filled with water and keep it at the head side of the bed and in the morning, through it out of your house.
8. If you are facing difficulties in your business or service due to government orders: On every Sunday prepare roties (bread) of one and quarter kilograms of wheat flour and fed them to cows.
9. If you are not satisfied from your work and feeling of disconcerted is coming into your mind frequently: Eat little bit jaggery before leaving the house for work-business.
10. If you are unable to stabilize income; savings and paternal property is going perish: Under the bed where you sleeps, must keep any object of iron and on the night of Saturday keep an iron pot filled with water under your bed, after waking up next day morning put it into the root of Bodhi Tree. Repeat this remedy for 40 days.
11. In order to get Laksmi, this remedy is surefire and if you are able to do it with discipline for three month, you will surely get unexpected money: Follow this remedy for 40 days starting from the day of Dipawali or any Friday of Shukla Paksha. At evening, visit the nearest temple of Mahalakshmi, Durgaji, Seetaji or any Goddess barefoot; light the lamp of pure ghee and offer the garland and the prasaad of sweets or kheer (milk and rice feast). Afterwords, pray to get money quietly and pray for other wishes.
With Regards from Mrs Suman Bansal
As Shri Ram Parkash Garg from Abohar sent this to us on 23-10-2011
With Regards from Shri Ram Parkash Garg
As Astrovashisht India from Delhi sent this to us on 8-10-2011
With Regards from ASTROVASHISHIT INDIA
As Mr. Gagan Munish Garg from Abohar sent this to us on 27-2-2011
With Regards from Mr.Gagan Munish Garg
As Mr. Sahil Gupta Sent this to us on 25-10-2010
Social Significance Of Karva chauth
With Regards from Mr.Sahil Gupta
As Mr. Yash Aggarwal sent this to us on 7-10-2010
To get blessing of "Maa Durga" in Navratries follow the belowing tips:
With Regards from Mr.Yash Aggarwall
As Mr Ajay Bansal sent this to us on 25-9-2010
To reduce the bad effects of '*KalSarp Yog', use these remedies:
Put a 6' by 3' portrait of Lord Shiva in your lobby, office or shop on Monday, Pay respect to Lord Shiva.
Put a peacock's wing on the wall of your bed room.
Chant 'Om Namha Shivaye' mantra 108 times daily in the morning.
Use sandal's perfume daily on your forehead as 'Tilak'.
Offer a rose flower and sandal perfume at a 'Majjar' on every Thrusday.
Give first baked bread (chappati) with mustard oil applied on it to the cow.
Feed the poor people on banana tree's leaves once in a month.
With Regards from Mr.Ajay Bansal
As Miss. Neha Gupta sent this to us on 19-9-2010.
To Get Marraige early, use these remedies:
With Regards from Miss.Neha Gupta
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Mrs. Suman Bansal & Mr.Dharmendar Bansal "Kanungo Jee"
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"Minds are like parachutes,they only function when they are open."
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